काश!
उस मोड़ पे
राह दिखाने के बजाय
तुमने हाथ मेरा थामा होता
और साथ चल दिए होते
अगले कई मोड़ सुहाने होते
और ये सफ़र भी आसां होता
मैंने रातों को उठकर यही अकसर सोचा
बहुत दिन बाद ये इलहाम हुआ
उस रोज़ मुझे आगे ही नहीं जाना था
बस उसी मोड़ पे रूक जाना था
जहां तुमने मेरे लौटने की राह तकी
पहले मोड़ के किस्से अजीब होते हैं
दिल के कितने क़रीब होते हैं !