Saturday 24 September 2011

ज्यों मेरी गुजरी हुई उलझन में वो शामिल न था



आजकल बेवास्ता मिलता है वो कुछ इस तरह
ज्यों मेरी गुजरी हुई उलझन में वो शामिल न था 


रेशमी लफ़्ज़ों से बुन दी उसने ख्वाबों की कपास 
मुझको क्या मालूम इन ख़्वाबों से कुछ हासिल न था

आख़री  दम  था  नजर  के  सामने  चेहरा  तेरा 
आशना होगा  मेरा, ग़र  तू  मेरा  क़ातिल  न था 

रूठ कर  वापस  समन्दर के  चले जाने के बाद 
बारिशों को इस कदर, तरसा कोई साहिल न था

Wednesday 21 September 2011

किसीको एक जरूरी बात किससे कहनी है?



न पूछो जिस्म में ये रूह कैसे रहती है
किराया उम्र के लम्हों के दम पे भरती है

बड़े सलीके से पहने हुए दुपट्टे को
मेरी गली में अब भी एक लड़की रहती है

कहीं जब एक भी खिड़की खुली नहीं मिलती 
बड़ी  बेचारगी  से  भूख  पाँव  रखती  है

किसीको एक जरूरी बात किससे कहनी है?
रात भर इक सदा गलियों में शोर करती है

Tuesday 13 September 2011

सितारे कुछ तो बात करते हैं


जाने क्या मालूमात करते हैं
सितारे कुछ तो बात करते हैं

हमें अपना वजूद जंचता है
ज़माने से जुदा सा लगता है
मगर औकात क्या है इंसा की
सितारे सब हिसाब करते हैं
सितारे कुछ तो बात करते हैं

आज हम किस मुकाम पर पहुंचे
ख़ास है या कि आम पर पहुंचे
मगर सबकी मदद सम्हलने में
बढ़ा के अपना हाथ करते हैं
सितारे कुछ तो बात करते हैं

राज कोई छुपा तो रक्खा है
मुकद्दर मेरा-तेरा लिक्खा है
उम्र की तख्तियां, कलम लम्हे
नसीबों को दवात करते हैं
सितारे कुछ तो बात करते हैं

जाने क्या मालूमात करते हैं
सितारे कुछ तो बात करते हैं