चंद अशआर
कितना भटकोगे यूँ ही मेरे दिल के सहरा में
कब तलक रोक कर आँखों में मैं नमी रक्खूं
बस के तुम उँगलियाँ मेरी तरफ उठा रक्खो
किसी तरह भी हो पर खुद में वो कमी रक्खूं
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उम्र भर मौजों को इसने है पुकारा
अब उन्हें ये याद आना चाहता है
खुश्की-ए -दामन सहेगा कब तलक ?
अब ये साहिल डूब जाना चाहता है
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तमाशा देखने का अरमां था
तमाशा बन के रह गये यारों
लाख होठों में सलवटें डाली
फिर भी ये बात कह गये यारों