Sunday, 18 November 2012

कमी इज़हार में मुझसे कहीं रही होगी


कमी इज़हार में मुझसे कहीं रही होगी
मिरे जो नाम उसने एक भी तो रात न की

ग़म जुदा होने का होता, अफ़सोस न था
ग़म यही है कि उसने तो मुलाक़ात न की

तमाम रात दिवाली के दिए जलते रहे
तमाम रात अंधेरों ने मुझ से बात न की

3 comments:

  1. तमाम रात दिवाली के दिए जलते रहे
    तमाम रात अंधेरों ने मुझ से बात न की

    बधाई ...कम से कम एक दिन तो अँधेरे खामोश रहे ....:))

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  2. तमाम रात दिवाली के दिए जलते रहे
    तमाम रात अंधेरों ने मुझ से बात न की

    बधाई ...कम से कम एक दिन तो अँधेरे खामोश रहे ....:))

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