Wednesday, 16 July 2014

टूटे रिश्ते

टूटे रिश्ते, आँख मिला कर हंस लेंगे पर,
हाथ पकड़, फिर साथ चलें, कब हो पाता है


पगले मनुआ, राह पुरानी, बात पुरानी,
खुद को नाहक बहलाता है, फुसलाता है


यादों की बारिश में भीगे, दिल तो चाहे,
वक़्त का सर पे दूर तलक फैला छाता है


मन बैरी है, बात ना माने, ज़िद पकड़े है,
बंद पड़ी गलियों में क्यूँ आता जाता है

2 comments:

  1. वाह ... बहुत खूब कहा है आपने ...।

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  2. मन बैरी है, बात ना माने, ज़िद पकड़े है,
    बंद पड़ी गलियों में क्यूँ आता जाता है
    .............. बहुत खूब !!!

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