तेरी नज़रों में जब तल्खी
मुझे दिखती हैं गर साथी
तो मैं कहता हूँ ये खुद से
कोई उम्मीद ऐसी थी
जिसे पूरा तो करना था
मगर मैं कर नहीं पाया
शिकायत तेरे लहजे में
कभी कानों तक आती है
तो मैं कहता हूँ ये खुद से
कोई वादा पुराना है
जिसे मैंने निभाने में
कहीं कुछ चूक की होगी
मगर ये तल्खियां सारी
शिकायत और गिले सारे
मुझे ढाढस बंधाते हैं
कि तुमको प्यार है मुझसे
बहुत सुंदर भाव
ReplyDeleteमगर ये तल्खियां सारी
ReplyDeleteशिकायत और गिले सारे
मुझे ढाढस बंधाते हैं
कि तुमको प्यार है मुझसे
Wah....bahut sundar bhaav