मुहब्बत कौन सी शय है, नहीं आसान बतलाना
अगर ये आग है तो आग ये ऐसे भड़कती है
कि इसमें इश्क के शोले नयी उम्मीद ले ले कर
बदन की रेत पे आतिश की मानिंद खेल करते हैं
अग़र ये ओस है तो आरजुओं की चिताओं पर
ये बरसाती है खुद को राहतों की ठंडी बूंदों में
अगर ये धूप है तो दिल की दुनिया के अंधेरों में
ये चाहत के चिरागों को उजाला बाँट देती है
अगर ये रास्ता है तो जमाने भर के ठुकराए
मुसाफिर इस पे चल के मंजिलों की थाह लेते हैं,
सफ़र की दास्तानें गुनगुनाती हैं कई सदियाँ
अगर ये गीत है कोई तो इसके लफ्ज़ इतरा कर
लबों से लब की दूरी इस तरह से पार करते हैं
कि जैसे धडकनों को बोल पहले से ही जाहिर थे
बड़ा मुश्किल है बतलाना, मुहब्बत कौन सी शय है!
वाह बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां पुष्पेंद्र जी । आनंदम आनंदम
ReplyDeleteमोहब्बत ज़िंदगी की सबसे मुश्किल आजमाइश है,
ReplyDeleteमगर यह आजमा लेने के काबिल आजमाइश है.
सराहने के लिए आपका धन्यवाद!
ReplyDeleteBahut khoob
ReplyDeleteवाह ... लाजवाब ... मज़ा आ गया इस गीत में ... भावमय ... धाराप्रवाह ... गेयता लिए ...
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteअगर कोई कर रहा हो मोहब्बत
तो आसान है बतलाना
पर करने वाले को फिर कहाँ
है कुछ नजर आना
ना है किसी को फिर उसने
आकर है कुछ बताना !!
बहुत खूबसूरत अंदाज़-ए-बयाँ...!
ReplyDeleteइबादत जिसके दिल में हो...उसी की होती मोहब्बत..,
जो पत्थर को भी पिघला दे...एक ऐसी शय है मोहब्बत..!
~सादर !!!
सच बड़ा ही मुश्किल है इसको बता पाना ...... अच्छी रचना !
ReplyDeleteआप सभी का धन्यवाद !
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