बड़ी ही सरकश है फ़ितरत उम्र की मौज़ों की, दौरे-ग़र्दिश में कुछ कहने की सतवत मना है, यहाँ वो आयें जिनको हो तलाशे-ख़ामोशी, मेरी रूहे-शिकश्तां को बड़ा ख़ौफे-सदा है - पुष्पेन्द्र वीर साहिल (Pushpendra Vir Sahil)
बेहतरीन
dhanyavad Sangeeta ji!
बहुत खूब !!!
बेहतरीन
ReplyDeletedhanyavad Sangeeta ji!
Deleteबहुत खूब !!!
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