Tuesday, 2 July 2013

तुम्हें जो भी गिला था, याद होगा





तुम्हारे साथ इक खामोश साया
कदम कुछ तो चला था, याद होगा

मुझे कुछ भी न कहना, याद है पर
तुम्हें जो भी गिला था, याद होगा


12 comments:

  1. सच है, आखिर गिला क्या था?

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  2. मुझे कुछ भी न कहना, याद है पर
    तुम्हें जो भी गिला था, याद होगा

    तुमने भी बढ़कर न था रोका मुझे
    सिला बेवफाई का तुम्हें भी याद होगा ...:))

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  3. सराहने के लिए आप सभी का धन्यवाद!

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  4. कल 18/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  5. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  6. सच ही तो है तनहाइयों का दामन जब थाम लिया तो अब कैसा ,कैसा शिकवा.सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  7. सच ही तो है तनहाइयों का दामन जब थाम लिया तो अब कैसागिला और ,कैसा शिकवा.सुन्दर अभिव्यक्ति.

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