न पूछो जिस्म में ये रूह कैसे रहती है
किराया उम्र के लम्हों के दम पे भरती है
बड़े सलीके से पहने हुए दुपट्टे को
मेरी गली में अब भी एक लड़की रहती है
कहीं जब एक भी खिड़की खुली नहीं मिलती
बड़ी बेचारगी से भूख पाँव रखती है
किसीको एक जरूरी बात किससे कहनी है?
रात भर इक सदा गलियों में शोर करती है
न पूछो जिस्म में ये रूह कैसे रहती है
ReplyDeleteकिराया उम्र के लम्हों के दम पे भरती है
........बहुत खूब
बड़े सलीके से पहने हुए दुपट्टे को
ReplyDeleteमेरी गली में अब भी एक लड़की रहती है
wah bahut badiya
Dhanyavad..
ReplyDeleteन पूछो जिस्म में ये रूह कैसे रहती है
ReplyDeleteकिराया उम्र के लम्हों के दम पे भरती है bahut khoob