Wednesday, 21 September 2011

किसीको एक जरूरी बात किससे कहनी है?



न पूछो जिस्म में ये रूह कैसे रहती है
किराया उम्र के लम्हों के दम पे भरती है

बड़े सलीके से पहने हुए दुपट्टे को
मेरी गली में अब भी एक लड़की रहती है

कहीं जब एक भी खिड़की खुली नहीं मिलती 
बड़ी  बेचारगी  से  भूख  पाँव  रखती  है

किसीको एक जरूरी बात किससे कहनी है?
रात भर इक सदा गलियों में शोर करती है

4 comments:

  1. न पूछो जिस्म में ये रूह कैसे रहती है
    किराया उम्र के लम्हों के दम पे भरती है
    ........बहुत खूब

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  2. बड़े सलीके से पहने हुए दुपट्टे को
    मेरी गली में अब भी एक लड़की रहती है

    wah bahut badiya

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  3. न पूछो जिस्म में ये रूह कैसे रहती है
    किराया उम्र के लम्हों के दम पे भरती है bahut khoob

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