रोकता था कोई आँचल और मुझे जाना पड़ा
साथ बीता एक ही पल और मुझे जाना पड़ा
इस कदर मुझको सफ़र ने टूट कर आवाज दी
हर तरफ बादल ही बादल और मुझे जाना पड़ा
सर्द तन्हाई का मौसम, तंग मेरा पैरहन
बस तेरी यादों का कम्बल और मुझे जाना पड़ा
मुद्दतों रखती है घर से दूर रोज़ी की तलाश
लौट के आया ही था कल और मुझे जाना पड़ा
दोस्ती में तंज़ पाकर भी नहीं भूला उसे
वो मुझे कहता था पागल और मुझे जाना पड़ा
और मुझे जाना पडा.....
ReplyDeletebahut sundar.....
www.poeticprakash.com
bahut khub
ReplyDeletebahut accha hai sir. regards.
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत और उम्दा
ReplyDeleteसर्द तन्हाई का मौसम, तंग मेरा पैरहन
ReplyDeleteबस तेरी यादों का कम्बल और मुझे जाना पडा ...
Bahut hi khoobsoorat !!
Beautifully expressed the pain of breaking away from a dear moment !
ReplyDeleteSeema Rawat
bahut sundar ...aur mujhe jana pada
ReplyDeleteआप सभी का आभार !
ReplyDeleteसर्द तन्हाई का मौसम, तंग मेरा पैरहन
ReplyDeleteबस तेरी यादों का कम्बल और मुझे जाना पड़ा ...
जावन है ये और जीवन में ऐसे अनेक पल होते हैं जिनपे अपना बस नहीं होता ...
अच्छी गज़ल है ...
बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
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