खुदको खोने के ज़ज़्बात नहीं बन पाए
उसको पाने के हालात नहीं बन पाए
उसको पाने के हालात नहीं बन पाए
मैंने तकलीफ़ बड़ी देर तक रोके रक्खी
फिर भी रोने के हालात नहीं बन पाए
ख़ुश्क आँखों के अश्कों में असर क्यूँ होता
उसके दिल में वो बरसात नहीं बन पाए
लफ्ज़ मांदा थे, रस्ते में कहीं जा बैठे
उसको सुननी थी जो बात नहीं बन पाए
किसी ख़ामोश सफ़र पे मिरे एहसास रवां
यूँ तो काफी थे, बारात नहीं बन पाए
मिलने आये हैं गिले बनके बीते लम्हे
क्या कहूं, क्यूँ ये मुलाक़ात नहीं बन पाए
kuchh dard dil ke kabhee khatm nahee hote
ReplyDeleteyaadon ke sahaare ,man ko dukhaate rahte
nice one
ati sunder
ReplyDeleteThank you Dr sahab, Thanks Reena ji
ReplyDeleteसार्थक एवं सुंदर प्रस्तुति के लिए धन्यवाद । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा ।
ReplyDeleteaapka dhanyavad
Deleteसराहने के लिए धन्यवाद संगीता जी
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