कोई ग़म अब नया आये तो अच्छा भी लगे
ग़म-ए-दिल तुझसे नाता अब पुराना हो गया
पड़ेगा छोड़ना अब तो तुझे दामन मेरा
मेरे दिल में तुझे आये जमाना हो गया
गुजश्ता-वक़्त में तुझसे लगाया होगा दिल
मगर अब आम सा नजरें चुराना हो गया
मसलसल तिश्ना-लबी है के जबसे तू आया
बेकली को बड़ा मुश्किल छुपाना हो गया
तेरी मौजूदगी के सब्त ना हो जाएँ निशां
कोई ग़म और का ये दिल ठिकाना हो गया
हरेक मौजे-नफस अब तो डुबाना चाहती है
बड़ा दुश्वार साहिल को बचाना हो गया
ग़म-ए-दिल तुझसे नाता अब पुराना हो गया
पड़ेगा छोड़ना अब तो तुझे दामन मेरा
मेरे दिल में तुझे आये जमाना हो गया
गुजश्ता-वक़्त में तुझसे लगाया होगा दिल
मगर अब आम सा नजरें चुराना हो गया
मसलसल तिश्ना-लबी है के जबसे तू आया
बेकली को बड़ा मुश्किल छुपाना हो गया
तेरी मौजूदगी के सब्त ना हो जाएँ निशां
कोई ग़म और का ये दिल ठिकाना हो गया
हरेक मौजे-नफस अब तो डुबाना चाहती है
बड़ा दुश्वार साहिल को बचाना हो गया
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गुजश्ता - बीते हुए
मसलसल - लगातार
तिश्ना-लबी - प्यास
बेकली - बेचैनी
मौजे-नफस - सांस की लहर
(04-07-89)
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