Friday, 22 July 2011

कैसा दोस्त है! पल भर में बदल जाता है


मैं जब भी हाथ बढ़ाता हूँ, पलट जाता है
कैसा दोस्त है! पल भर में बदल जाता है

मैं हर पिछले गिले को दफ़्न करना चाहता हूँ
उसकी आँखों में नया तंज उभर आता है

ये दुनिया गहरी वादी और मैं बहती सी नदी
हंसीं मंजर दिखाई दे के बिछड़ जाता है

किसके आने का इंतज़ार भला है तुझको ?
भरी दोपहरी में क्यूँ राह झांक आता है

वो जब आता है, ख़ाली हाथ चला आता है
ज़माने भर की पर तकलीफ़ दिए जाता है

सब को मत दोस्त समझ, ख़ुद को ये फ़रेब न दे
पहले आवाज दे के देख, कौन आता है ?

वो जो हंसता है खुले दिल से हर महफ़िल में
जाने क्यूँ अपने घर इतना उदास आता है ?
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तंज - ताना

(21.07.2011)

6 comments:

  1. किसके आने का इंतज़ार भला है तुझको ?
    भरी दोपहरी में क्यूँ राह झांक आता है......
    wah ji wah....bahut khub!!!!!!!

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  2. पहले आवाज दे के देख, कौन आता है ?

    bahut badhiya ..

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  3. वो जो हंसता है खुले दिल से हर महफ़िल में
    जाने क्यूँ अपने घर इतना उदास आता है ?
    bahut behtareen rachna.....waah..

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