Saturday 31 December 2011

नया साल !



छलकते जामों से भीगा-भीगा
चकाचौंध करती रोशनी में नहाया हुआ
शोरो-गुल के बीच हँसता, पर सहमा सा
वो एक लम्हा आएगा, दबे पांव
अपने जैसे बहुत से लम्हों की कतार में....
बचपन में खेली एक पहेली जैसा -
इतने मेरे आगे और इतने मेरे पीछे
तो बोलो मैं कहाँ पे हूँ?

क्या खास है उसमें?
कि है बस उसी लम्हे का इंतज़ार !
क्या साथ लायेगा अपने
खुशियाँ? -
एक लम्हें में भला कितनी खुशियाँ
कर लोगे महसूस
और कितनी बाँट पाओगे?
तुम तो नए साल के जश्न में
गले मिलते ही रह जाओगे !

खुशियाँ आएँगी, जरूर आएँगी
लेकिन अपने-अपने वक़्त पे
वो वक़्त भी होगा
हर किसी का अलग-अलग

आखिर समंदर अपने वक़्त से ज्वार चढ़ता है....
ख़ुशियाँ अपने वक़्त से दामन भरती हैं....
उम्मीदें अपने वक़्त से शक्ल लेती है ...
चाहत अपने वक़्त से परवान चढ़ती है...

इंतज़ार तो करना पड़ता है...

अच्छा है कहना खुशामदीद
नए साल!

लेकिन रहना होगा
दामन फैलाये साल भर
उन खुशियों के लिए
जो आ गिरेंगी मन की गोद
कभी भी, किसी पल भी........

4 comments:

  1. नववर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं......

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  2. बहुत सुंदर,
    नया साल आपके जीवन को प्रेम एवं विश्वास से महकाता रहे,

    मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--

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  3. बहुत खूब ... दामन खुला रखना ...
    आपको नए साल की मुबारकबाद ...

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    नव वर्ष की शुभकामनायें|

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