कोना-कोना दिल का है बरसों से सूना-सूना सा
ग़म ही आयें, आयें मगर, कुछ नाम तो हो मेहमानों का
अपनों के चमन से जब गुजरे काँटों ने दामन थाम लिया
फूल जहाँ पर मिले हमें, वो बाग़ तो था बेगानों का
तूने मुहब्बत ठुकराई, कोई बात नहीं, ना कोई गिला
पर ये तो बता, अब क्या होगा तेरे मेरे अफसानों का
डूब ना जाए कश्ती, साहिल दूर है, ऊंचीं हैं लहरें
अब तो भरोसा मांझी को भी, है केवल तूफानों का
ग़म ही आयें, आयें मगर, कुछ नाम तो हो मेहमानों का
अपनों के चमन से जब गुजरे काँटों ने दामन थाम लिया
फूल जहाँ पर मिले हमें, वो बाग़ तो था बेगानों का
तूने मुहब्बत ठुकराई, कोई बात नहीं, ना कोई गिला
पर ये तो बता, अब क्या होगा तेरे मेरे अफसानों का
डूब ना जाए कश्ती, साहिल दूर है, ऊंचीं हैं लहरें
अब तो भरोसा मांझी को भी, है केवल तूफानों का
No comments:
Post a Comment