वो मुझे भूल चुका, भूल चुका, भूल चुका
उसका ख़त पढ़ के मुझे इतना ऐतबार आया
ये और बात है हर हर्फ़ के कलेजे में
मेरा ही नाम नज़र मुझको बार-बार आया
ये कैसे मान लूं वो चाहता नहीं मुझको
क्या हुआ जो ख़त उसका कभी-कभार आया
सुना है उसको संग-सार किया जायेगा
मैं ख़ुद को उसके रकीबों में कर शुमार आया
(31.05.11)
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संग-सार - पत्थर से मारना
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