तन्हाई ही में काटी मैंने राहे-ज़िंदगी
और जनाज़े में हजारों साथ हो गए
जिनके हरेक ग़म में मेरी आँख हुई नम
मेरे ग़म उनके लिए मजाक हो गए
उम्र भर जो काम किये नेकी के लिए
बन के वही दामन पे मेरे दाग़ हो गए
हर सुबह सोचा कि आज है ख़ुशी का दिन
शाम तक न जाने क्यूँ उदास हो गए
इक बार कर लिए इरादे जब बुलंद
ख़ुद-ब-ख़ुद साहिल हमारे पास हो गए
(11.05.89)
और जनाज़े में हजारों साथ हो गए
जिनके हरेक ग़म में मेरी आँख हुई नम
मेरे ग़म उनके लिए मजाक हो गए
उम्र भर जो काम किये नेकी के लिए
बन के वही दामन पे मेरे दाग़ हो गए
हर सुबह सोचा कि आज है ख़ुशी का दिन
शाम तक न जाने क्यूँ उदास हो गए
इक बार कर लिए इरादे जब बुलंद
ख़ुद-ब-ख़ुद साहिल हमारे पास हो गए
(11.05.89)
अच्छी प्रस्तुति .......
ReplyDeleteबहुत सारी कवितायें पढ़ कर दुबारा आयी हूं ....वाकई बहुत अच्छी अभिव्यक्ति है ....शुभकामनायें आपको !
ReplyDeleteanother gem from your treasure......like it very much......
ReplyDeleteNivedita ji and Ranjana - Thanks.
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