Monday, 23 May 2011

विदा करती हथेली धीरे धीरे थक गयी होगी



सांवली धूप काले बादलों से खेलती होगी
कहानी बन रही होगी
किसी की आँख छिप कर गेसुओं में देखती होगी
कहानी बन रही होगी
झील में कोई कश्ती दिल की मानिंद डोलती होगी
कहानी बन रही होगी
भीगी आँख में शबनम पलक पे झूलती होगी
कहानी बन रही होगी
किसी की आस ढलकर उन खतों में बोलती होगी
कहानी बन रही होगी 
कोई उम्मीद मिलने दूर तक अक्सर गयी होगी
कहानी बन रही होगी
विदा करती हथेली धीरे धीरे थक गयी होगी
कहानी ..........



(23.05.11)

1 comment:

  1. विदा करती हथेली धीरे धीरे थक गयी होगी........true for all untold stories, very touching.....

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