Monday 16 May 2011

A translation of "FORGOTTEN PILLARS" by Shantanu Raychoudhuri..



मूक दर्शक
कर चुके समर्पण
शाश्वत समयहीनता के भार तले ...
सजे खड़े हैं बिखरी लताओं से

मकड़ियों ने बुने हैं उलझे हुए आकार - सदियों की धूल पर

धकेले जा चुके अस्तित्वविहीनता में -
सारे धार्मिक उन्माद से परे
शायद दे सकें शांति किसी भूले-भटके को

क्योंकि धब्बे नहीं हैं उन पर - भक्तों के खून के

(Shantanu Raychoudhuri lives in Delhi. He is a great human being, personal friend and poet par excellence)
(20.07.2000)

No comments:

Post a Comment