तू मेरी गोद में आएगी तो महकेगी ज़मीं
गुंचे हर सिम्त खिले मुझको नज़र आयेंगे
मेरी आँखें न तुझे देखती भर पाएंगी
मेरी रूह में तारे से बिखर जायेंगे
खड़ी रह जाऊंगी साकित, जो तुझे देखूंगी
नन्हें क़दमों से कभी ख़ुश-ख़िराम चलते हुए
पहली पायल जो तेरे पावों में पहनाउंगी
तवील नगमे छम-छम सुनूंगी बजते हुए
और हर रोज़ बड़ी होते तुझे देखूंगी
कोई दिन बेटी सहेली सी नज़र आएगी
खेलते-खेलते बचपन तेरा इस आँगन में
बीत जायेगा, जवानी भी निखर आएगी
हसीं अरमान हरेक मां के दिल का होता है
मैंने भी तेरे लिए लख्ते-जिग़र, देखा है
भले ही जाएगी मुझको रुला के सौ आंसू
तेरी शादी का हसीं ख़्वाब, मगर देखा है
मगर मैं बैठी हुई सोच रही हूँ क्या-क्या
मेरी बच्ची, ये सारे ख़्वाब शबगुज़ीदा हैं
मैं बदगुमानियों में जी रही हूँ, वरना
मेरी बच्ची, ये तमन्नाएँ ग़मगुज़ीदा हैं
यहाँ हमल में खुर्दबीनें सख्त पहरे पर
तुझे नसीब ना होगी सहर, मेरी बच्ची
यहाँ ना इंतेज़ार है किसी को बेटी का
मार ही देंगे तुझे मुख़्तसर, मेरी बच्ची
बड़ा संगीन दौर है कि क्यों तुझे जन्मूँ
हवस-पसंद निगाहों के सिलसिले हर सूं
मेरी नूरे-नज़र, बिटिया मेरी, न पैदा हो
मैं ऐसे दौर में क्या नेमतें तुझे बख्शूं
अजीब दौर है, इस दौर का बयां कैसा
मेरी बच्ची, यहाँ औरत है जिंस, बिकती है
अजीब दौर है, ना मां, बहन, ना बेटी है
मेरी बच्ची, यहाँ औरत है जिस्म, बिकती है
तू इंतेज़ार कर, बच्ची मेरी, ना पैदा हो
अभी इस वक़्त में बिटिया ना बन के पैदा हो
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(27.04.2011)
सिम्त - दिशा
साकित - ठिठकी हुई
ख़िराम - धीरे
तवील - लम्बी
लख्ते-जिग़र - जिग़र का टुकड़ा
शबगुज़ीदा - रात की डसी हुई
हमल - गर्भ
खुर्दबीनें - microscope / ultrasound
जिंस - सेक्स