खोया हुआ हूँ ऐसे मैं अपनी ख़ुदी में
मैं हाथ मिलाने का अदब भूल गया हूँ
फिर मुझको कोई नन्हा सा बच्चा बना दे
मैं दिल की मुहब्बत की तलब भूल गया हूँ
तपते हुए नगमों को गाता था कभी मैं
फ़िलहाल तो अपने वो लब भूल गया हूँ
हिन्दू हूँ किसी रोज़ तो मुस्लिम हूँ किसी शब
इन्सां मगर होने का सबब भूल गया हूँ
दौलत की तलब है, मुझे इशरत की हवस है
सरमाये की इस होड़ में रब भूल गया हूँ
भूलेंगें न तुमको कभी वादा तो किया था
उलझन में गमे-ज़ीस्त की सब भूल गया हूँ
कद मेरा भी ऊंचा है इस शहर में यारो
यहाँ आके बैसाखी का परब भूल गया हूँ
This is damn so good....feel real proud that you are my friend...
ReplyDeleteHindu hoon kisi roz to muslim hoon kisi shab
ReplyDeleteinsaan magar hone ka sabab bhool gaya hoon .
very meaningful !!