Thursday, 21 April 2011

ये मेरे ख़यालों की मंजिल नहीं है

 ये रंगीन महफ़िल, ये रोशन चरागाँ
 ये सागर छलकते,  ये दौरे-बहारां
 ये कदमों की थिरकन, खरामा-खरामा
 ये मेरे ख़यालों की मंजिल नहीं है
 नहीं है, नहीं है, नहीं है, नहीं है

 मैं शामिल हूँ इस जश्न में, पर नहीं हूँ
 न अब मैं यहाँ हूँ, न अब मैं वहीँ हूँ
 नहीं कुछ पता मैं कहाँ हूँ, कहीं हूँ
 ये मेरे ख़यालों की मंजिल नहीं है
 नहीं है, नहीं है, नहीं है, नहीं है

 यहाँ आज हर बात ठहरी हुई है
 यहाँ हर मुलाकात ठहरी हुई है
 यहाँ आज की रात ठहरी हुई है
 ये मेरे ख़यालों की मंजिल नहीं है
 नहीं है, नहीं है, नहीं है, नहीं है

 अगर मैं यहाँ हूँ तो तेरे लिए हूँ
 अगर गा रहा हूँ तो तेरे लिए हूँ
 मैं जो कह रहा हूँ, तेरे लिए हूँ
 ये मेरे ख़यालों की मंजिल नहीं है
 नहीं है, नहीं है, नहीं है, नहीं है

 मेरे दिल में है बेकरारी मसलसल
 मेरे जिस्मों-जां पे तारी है हलचल
 मेरे दोस्त मुझको कहीं और ले चल
 ये मेरे ख़यालों की मंजिल नहीं है
 नहीं है, नहीं है, नहीं है, नहीं है

(19.07.2000)

1 comment:

  1. मैं शामिल हूँ इस जश्न में, पर नहीं हूँ
    न अब मैं यहाँ हूँ, न अब मैं वहीँ हूँ ....complete disillusionment !!
    अगर मैं यहाँ हूँ तो तेरे लिए हूँ
    अगर गा रहा हूँ तो तेरे लिए हूँ .... but still an attempt to weave a purpose for life .
    Beautiful !!

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