Sunday 24 April 2011

ठंडी सड़क

झील है, धुंध है, ख़ामोशी है
धूप है, नाव हैं, किलकारी है
एक चलती हुई सड़क भी है
और हम सब हैं

दूर वो घंटियाँ सी बजती हैं
छोटी-छोटी दुकानें सजती हैं
पल दो पल को निगाहें टिकती हैं
और हम सब हैं

भीड़ हर शाम को उमड़ती है
रोशनी झील में दमकती है
आसमानों से बात करती है
और हम सब हैं

मॉल पे साथ-साथ चलती हैं
नजरें मिलती हैं, ख्वाब बुनती हैं
दो दिलों की उम्मीदें पलती हैं
और हम सब हैं

पहाड़ी चोटियाँ बहुत ऊँची
पेड़ों की टहनियां बहुत नीची
झील में दोनों मगर हैं दिखती
और हम सब हैं

एक गुमसुम सड़क है ठंडी सी
समां उदास, हवा सीली सी
ज़िस्म छिपता सा, रूह बचती सी
वहां कोई नहीं है ……..



(25.04.2011)

2 comments:

  1. kuch logon ko vo gumsum thandi sadak bhi pasand thi ji..... nainital samne aa gaya aur vo daur bhi jab ek kavi tha, aur hum sab bhi...

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