Friday 29 April 2011

जो साथ चल रहा था

 मैं पिछड़े मोड़ पर ही खुद को छोड़ आया था
 जो साथ चल रहा था, सिर्फ तेरा साया था

 न रास्ता, कोई मंजिल, न रोशनी, न चिराग
 मुझे  यहाँ  तो  तेरा  प्यार  खींच लाया  था

 तमाम रिश्तों की चादर पहन के सोया था
 किसी की अजनबी आवाज ने जगाया था

 मेरे लबों को वो नगमा कभी न भूलेगा
 सफ़र में साथ जिसे हमने गुनगुनाया था

(03.07.2000)

3 comments:

  1. wow..so touching.. the sweetest songs are those that we have hummed together

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  2. मैं पिछड़े मोड़ पर ही खुद को छोड़ आया था
    जो साथ चल रहा था, सिर्फ तेरा साया था

    ultimate

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