Wednesday, 13 April 2011

मेरी नींदों में गुज़र


इतनी नफ़रत ही तेरे पास नहीं है प्यारे
कि मेरे इश्क़ का तू जोर घटा दे प्यारे

कैसे रोकेगा मेरे ख़्वाबों की परवाज़ बता 
मेरी नींदों में गुज़र तेरा नहीं है प्यारे

तूने जिस दर पे सरे-शाम से दस्तक दी है
बाहें फैलाये खड़ा था वो सुबह से प्यारे

ये सच है कि दलीलों में वज़न तेरी बहुत है
पर दिल का मुकदमा है, कोई क्या करे प्यारे

है तू जो समंदर भी तो ठहरा ही हुआ है
है पास हुनर बहने का, क़तरे के ही प्यारे 

इल्ज़ाम मुझे रुस्वां कर सकते नहीं तेरे 
हम अपनी वफ़ाओं के साए में हैं प्यारे
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परवाज़  - उड़ान 

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