Friday 22 April 2011

मुन्ने तेरे सपने बड़े हों



आज तेरी मुस्कराहट घूमती घुटनों के बल
 और तेरी आँखों में झिलमिल जगमगाता तेरा कल  
 कल चलेगा तू जहाँ में थाम कर उंगली हमारी  
 या कभी हमको बना घोडा करेगा तू सवारी 
 हीरे-मोती तेरी आशा पे उमंगों के जड़े हों  
 ये सुकोमल पाँव तेरे एक दिन जम कर खड़े हों  
 और क्या आशीष दें, मुन्ने तेरे सपने बड़े हों  
 हाँ मेरे नन्हे, मेरे मुन्ने, तेरे सपने बड़े हों    

(inspired by a poem by Dushyant Kumar)

1 comment:

  1. this is the dream of each and every parent...
    ये सुकोमल पाँव तेरे एक दिन जम कर खड़े हों ....kab ye chote chote kadam bare ho jate hain pata hi nahi chalta.....
    soft and sweet......

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