मैं ही था पागल जो
पानी में चंदा को
देखा तो उसको ही सच का समझ बैठा
पानी की बूंदें दो
दामन में बिखरी तो
सारे ही बादल को अपना समझ बैठा
ऐसा नहीं होता
हरगिज नहीं होता
सपना तो सपना है, अपना नहीं होता
अश्कों में ढल कर के
हाँ, यूँ ही निकलेंगें
आँखों में सपनो का बसना नहीं होता
ऐसा नहीं करते
हाँ-हाँ नहीं करते
सपनों में रिश्तों को जोड़ा नहीं करते
रिश्ते जो सच्चे हैं
वो खुद ही जुड़ते हैं
पागल से होकर यूँ दौड़ा नहीं करते
रिश्तों में तन-मन है
तन-मन का बंधन है
बंधन ये ना टूटे, बंधन तो दर्पन है
ऐसे ही रहना है
अब यूँ ही बहना है
जीवन ही धारा है, धारा ही जीवन है
पानी में चंदा को
देखा तो उसको ही सच का समझ बैठा
पानी की बूंदें दो
दामन में बिखरी तो
सारे ही बादल को अपना समझ बैठा
ऐसा नहीं होता
हरगिज नहीं होता
सपना तो सपना है, अपना नहीं होता
अश्कों में ढल कर के
हाँ, यूँ ही निकलेंगें
आँखों में सपनो का बसना नहीं होता
ऐसा नहीं करते
हाँ-हाँ नहीं करते
सपनों में रिश्तों को जोड़ा नहीं करते
रिश्ते जो सच्चे हैं
वो खुद ही जुड़ते हैं
पागल से होकर यूँ दौड़ा नहीं करते
रिश्तों में तन-मन है
तन-मन का बंधन है
बंधन ये ना टूटे, बंधन तो दर्पन है
ऐसे ही रहना है
अब यूँ ही बहना है
जीवन ही धारा है, धारा ही जीवन है
jeevan ke sach ko shabdon mai utara hai...its the philosophy of life....great...
ReplyDeletethanx..
ReplyDelete