ये जीवन पतझड़ का मौसम, अब वसंत आ जाने दो
प्रियतम तेरे नेह-घटक बिन
अँखियाँ अश्रु की पनिहारिन
बिन तेरे आँचल में सिमटी
क्वांरी पीड़ा बनी अभागिन
चूनर कुम-कुम हो जाने दो, उम्र सुहागिन हो जाने दो
ये जीवन पतझड़ का मौसम, अब वसंत आ जाने दो
विरह-निशा आँखों में बीती
आशा की मदिरा भी रीती
तुमको सौ-सौ बार पुकारा
फिर भी सूनी मन की वीथी
अधर-अधर से मिल जाने दो, प्रेम-सुमन खिल जाने दो
ये जीवन पतझड़ का मौसम, अब वसंत आ जाने दो
(15.02.1997)
प्रियतम तेरे नेह-घटक बिन
अँखियाँ अश्रु की पनिहारिन
बिन तेरे आँचल में सिमटी
क्वांरी पीड़ा बनी अभागिन
चूनर कुम-कुम हो जाने दो, उम्र सुहागिन हो जाने दो
ये जीवन पतझड़ का मौसम, अब वसंत आ जाने दो
विरह-निशा आँखों में बीती
आशा की मदिरा भी रीती
तुमको सौ-सौ बार पुकारा
फिर भी सूनी मन की वीथी
अधर-अधर से मिल जाने दो, प्रेम-सुमन खिल जाने दो
ये जीवन पतझड़ का मौसम, अब वसंत आ जाने दो
(15.02.1997)
its beautiful, thanks for sharing...
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